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क्या राज ठाकरे की ‘दंगों’ वाली भविष्यवाणी सही हो रही है ?

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The Raw Post
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April 11, 2018
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    kumar PremJee, Senior Editor, TRP
    Pic Courtesy: IndiaToday.in
    “राज ठाकरे ने मोदीमुक्त भारत का एलान करते हुए जो आशंका जतायी थी वह सच होती दिखने लगी है। उन्होंने आशंका जताई थी कि 2019 के पहला देश में भयंकर रक्त पात होगा, दंगा-फसाद होगा। अभी हिन्दू-मुस्लिम दंगे जैसी स्थिति तो नहीं बनी है लेकिन देश का माहौल तनावपूर्ण हो गया है।

    2 अप्रैल को भारत बंद का आयोजन दलितों ने किया था। इस दौरान व्यापक हिंसा हुई। सरकार का मानना है कि इस हिंसा में गैर हिन्दू दलितों का हाथ था। इशारा साफ है कि मुसलमान इस हिंसा में शामिल हुए। अगर राज ठाकरे के वक्तव्य को याद किया तो उन्होंने कुछ इस तरह बोला था-

    “मैं कोई ज्योतिषी नहीं हूं। लेकिन दोबारा कह रहा हूं। अगले कुछ महीनों में देश में भीषण हिंदू-मुस्लिम दंगे होने वाले हैं और इसका कारण राम मंदिर होगा। जहां तक मेरे सूत्रों ने खबर दी है। कुछ मुस्लिम संगठन, जो बातचीत में लगे हुए हैं, उनको दिशा निर्देश दिया गया है कि वे दंगा फैलाएं।”

    2 अप्रैल को भारत बंद के दौरान देशभर में हिंसा हुई। उसके बाद से दलितों पर हमले बढ़ गये. देशभर में तनाव बढ़ने लगा।
    2 अप्रैल के बाद 10 अप्रैल को भी हिंसा की ख़बरे हैं। हिंसा से ज्यादा भयावह बात ये है कि माहौल ख़राब है। किस प्रदेश के किस सूबे में हिंसा होगी, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है। केवल हिंसाग्रस्त क्षेत्रों के एसपी-डीएम को जिम्मेदार ठहराकर अगर हिंसा रुक जाती तो इस देश में कभी हिंसा होती ही नहीं। इन एसपी-डीएम को ड्यूटी से रोकता कौन है? सत्ता ही तो उन्हें गलत करने को प्रेरित करती है। ऐसे में वे क्या करें।

    चुनाव से पहले तनाव के जो मुद्दे गरम हो सकते हैं उनमें कश्मीर विवाद, सीमा पर तनाव, घुसपैठियों का सवाल, कावेरी विवाद, आरक्षण, दलित, राम जन्म भूमि जैसे मुद्दे अहम हैं। चुनाव में अभी वक्त है लेकिन चुनाव की तैयारी शुरू हो चुकी है। ध्रुवीकरण कैसे हो और जो ध्रुवीकरण हो वह हमारे हक में किस तरह से हो सके. इसी चिन्ता में राजनीतिक दल वक्त गुजार रहे हैं।

    राज ठाकरे को उनके सूत्रों ने जो सूचना दी है उससे वे बेचैन हैं। यही वजह है कि राज ठाकरे ने नरेंद्र मोदी की तुलना हिटलर से की जो अपने विरोधियों को जीवित नहीं छोड़ा करता था। जो मोदी समर्थक रहे हैं, बीजेपी समर्थक रहे हैं उन्हें केस से आज़ाद किया जा रहा है और जो विरोधी रहे हैं उन पर मुकदमे लादे जा रहे हैं।
    सहिष्णुता के नाम पर बुद्धिजीवियों को तोड़ दिया गया है। अब मोदी विरोध में बौद्धिक लेवल पर पहले जैसी धार नहीं रही। दुष्प्रचार का सहारा लेकर जबरन ब्रांडिंग की जा रही है। यह सब तो फिर भी ठीक है लेकिन हिंसा की आग में धकेलने की कोशिश की बात अगर सच है, अगर ये सच है कि आने वाले दिनों में देश को मार-काट और हिंसा का ही तांडव देखना है तो यह राजनीति बहुत ख़तरनाक है।

    ईश्वर न करे कि राज ठाकरे की बात सच हो। ऐसा इरादा रखने वालों के मन फिर जाएं। इंसानियत उनमें जाग जाए। वे इस बात को याद कर पाएं कि दुनिया इंसानों के लिए है इंसानों को मिटाने के लिए नहीं। लेकिन, फिलहाल हिंसा की आगोश में जाते हुए देश को देखना दुख है। ये आशंका अब मजबूत हो रही है कि कहीं राज ठाकरे की कही हुई बात सच न हो जाए। अगर ऐसा हुआ तो देश नये सिरे से बंटने को तैयार दिखेगा।”

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